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Wednesday, October 9, 2024
नाम अनामिका चक्रवर्ती
जन्मस्थान- जबलपुर
परवरिश और शिक्षा – भोपाल
वर्तमान रहवासी – छत्तीसगढ़ , मनेंद्रगढ़
संप्रति- स्वतंत्र लेखन एवं सामाजिक कार्य, फोटोग्राफी।
लेखन विधा – कविता, कहानी, लघुकथा, लेख, गीत।
जन्म- 11 फरवरी
शिक्षा- स्नातक , कम्प्युटर पी.जी.डी.सी.ए.।
प्रकाशित साहित्य –  देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं एवं इ- पत्रिकाओं  में कविता, लेख ,आलेख
,गीत , रचनाएँ प्रकाशित 
फिल्मी पत्रिका मिसाल -रायपुर
परिकथा -दिल्ली, रेवान्त -लखनऊ , लहक -कोलकाता,  इन्द्रप्रस्थ भारती -, वागर्थ, आजकल , उमाश्री, कथाक्रम
दिल्ली,  समाज कल्याण (भारत
सरकार)-दिल्ली, दिल्ली की सेल्फी -दिल्ली, समापवर्तन (रेखांकित), कथादेश, परिकथा, छत्तीसगढ़ आस-पास, बहुमत, रचना उत्सव, 
पूर्वांचल -दिल्ली, शोधदिशा , बाखली-पिथोरागढ़ उत्तराखण्ड, दुनियाँ इन दिनों -दिल्ली, भोपाल छत्तीसगढ़ मित्र, 
दैनिक भास्कर के रसरंग में आलेख, हरिभूमि, नवभारत, नई दुनियाँ , पत्रिका, दूरदर्शन से कविता प्रसारण।
जनसंदेश टाइम्स , दैनिक जागरण , पीपल्स समाचार -भोपाल आदि में ।
 ई पत्रिका-  ‘शब्दांकन’ ‘बिजूका’ ‘अटूट बंधन’ ‘पोषम पा’ 
 
1-एक गीत एलवम प्रतिति सेव गर्ल चाइल्ड अनाथ बच्चियों की शिक्षा के लिए चैरिटी हेतु
2- बाॅलीवुड में निर्मित हिन्दी फिल्म ‘मिराधा’ के लिये लिखा गीत
जिसे गाया है जाने माने गायक ‘जावेद अली और शहजाद अली’ ने।
3-एकल काव्य संग्रह ‘धूप के राज़ महकते हैं’ 2014 में 
हिन्दी युग्म प्रकाशन से प्रकाशित साझा काव्य संग्रह ‘कारवां’
कौटिल्य प्रकाशन से प्रकाशित ‘आत्मकथात्मक संस्मरण संग्रह’ “दूसरी पारी” एवं  भारत कथा माला संग्रह में छत्तीसगढ़ 21 कथाकारों में कहानी प्रकाशित।
 
4- आकाशवाणी से रचनाओं का प्रसारण एवं घर आँगन परिचर्चा का प्रसारण।
 
सम्मान– गंतव्य संस्थान नई दिल्ली द्वारा अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर। राष्ट्रीय स्त्री शक्ति सम्मान से सम्मानित।
लखनऊ राष्ट्रीय आरोग्य दर्पण की ओर से मैं हूँ बेटी सम्मान से सम्मानित।
Forever Star India awrds 2020 की तरफ से “The Rial Super Woman” का अवार्ड मिला।
एवं राष्ट्रीय पत्रकार संगठन प्रिंट मीडिया वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की 96वी जयंती में शुरू किए गए “अटल सम्मान” से सम्मानित किया गया।
 
माँ भारती कविता महायज्ञ हिंदी पखवाड़े में विश्व कीर्तिमान काव्य पाठ
के संचालन हेतु पंडित तिलक राज स्मृति न्यास संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा
‘साहित्य साधक सम्मान’
 
पता :-  anamika Chakraborty
            North JKD
               Ward no. 7
                  Manendragarh
                   Koria , Chhattisgarh
                      Pin-497446
 
 mob no. –
                          9340072201
 
अनामिका चक्रवर्ती

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प्रेम - कविताएँ

प्रेम

प्रेम करके कविताएँ लिखना आसान है
कविताएँ लिखकर प्रेम करना नहीं
कविता लिखना आसान है
प्रेम करना नहीं 
तो 
प्रेम कविताएँ, प्रेम करके लिखी गई 
या कविता लिखते लिखते प्रेम हो गया
या प्रेम और कविताएँ साथ साथ जीते मरते रहे
 
फिरभी कितनी सहजता से हो जाता है प्रेम
और समय के साथ कठिन हो जाती है कविताएँ
 
शायद इसी तरह प्रेम , 
कविताएँ और कविताएँ ,प्रेम हो जाती हैं।
 
©अनामिका चक्रवर्ती

तुम जहाँ हो!

जिन अंधेरो से तुम गुजर रहे हो
उन्हीं अंधेरों में,
मैं अपने उजालो से झुलज रही हूँ।
 
तुम जिन तनहाइयों में बिखर रहे हो
उन्हीं तनहाइयों में,
मैं अपने शोर से सिमट रही हूँ।
 
तुम जिस बेबसी से गुजर रहे हो
उन्हीं बेबसी में,
मैं उम्मीदों को सहला रही हूँ।
 
जीवन के जिस पड़ाव पे तुम उचट रहे हो
उन्हीं पड़ाव में,
मैं प्रतीक्षा की कंदील को हवा से बचा रही हूँ।
 
© अनामिका चक्रवर्ती

महानगर

साँकल होती है शहर के दरवाजों पर
घरों में कुण्डियाँ नहीं लगी होती हैं
हर कस्बा शहर जाकर बूढ़ा हो जाता ह,
जवानी पगडंडियों पर छूट जाती है
 
मिट्टी के आँगन पर पड़ी दरारें
नहीं भरी जा सकती कंक्रीट से
और जहाँ भर दी जाती हैं,
वहाँ दरारें रिश्तों में पड़ी होती हैं।
 
नजर आता है आसमाँ गलियों सा,
जमीं पर गलियाँ, 
अनाथों सी लगती है
रौनकें तो सिर्फ रातों को होती हैं यहाँ
स्ट्रीट लाईटों और गाड़ियों की हेडलईटों से।
 
दिन के उजाले डरते है जहाँ
खिड़कियों के अन्दर झाँकने से,
वहाँ न जाने कैसे दिन 
और कैसी रातें होती हैं।
 
© अनामिका चक्रवर्ती

जीवन की कोई भी व्यस्तता तुम्हारे खालीपन को नहीं भर पाती

कोई सुख कोई दुःख
कोई खुशी कोई उत्सव
कोई रौशनी कोई अंधेरा
तुम्हारी अनुपस्थिति को 
नहीं पाट पाता
 
मन में नीरसता बनी रहती है
मझेरे दिन की उमस की तरह
ताकती रहती है आँखें
मेघ से घिरे आकाश की ओर
 
तुम आओ तो भीगे मन का आंगन
और पलकों में जमी
खारी बूँदे भी बह जाए
 
©अनामिका चक्रवर्ती

अंतिम बिंदु

समय की धार से जब भी तुम
पहाड़ की तरह टूटते हो
समय के कटाव से एक सैलाब
मेरे भीतर भी बहता है
 
हमारे प्रेम का विस्तार
हमें अचेत समय के
क्षितिज पर ले आता है
 
ये दृष्टि का वह अंतिम बिंदु होता है
जहाँ एकाकार होने का भाव
मन को विश्वास में लेता है
 
ये विश्वास प्रेम की नम सतह पर
अपने पद चिन्हों को देखते हुए
आनंदित होता है
और अपनी पीड़ा का उत्सव मनाता है।
 
©अनामिका चक्रवर्ती
बीत जाए जब पौष,
तब आना तुम
क्योंकि आना है तुम्हें 
सदा के लिए।
 
हेमंत ऋतु की शीत पर 
विरह की अग्नि में
तापूंगी तुम्हारी प्रतीक्षा 
 
©अनामिका चक्रवर्ती
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