जोशना बैनर्जी आडवानी आगरा के स्प्रिंगडेल मॉर्डन पब्लिक स्कूल में प्रधानाचार्या पद पर कार्यरत हैं। इनका जन्म आगरा में ३१ दिसंबर, १९८३ को हुआ था। पिता बिजली विभाग में कार्यरत थे। सेंट कॉनरेड्स इंटर कॉलेज, आगरा से शिक्षा ग्रहण करने के बाद, आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद बी.एड, एम.एड और पीएचडी की। इनका पहला कविता संग्रह “सुधानपूर्णा” है, जो इन्होंने अपने स्वर्गीय माता पिता को समर्पित किया है। दस साल पीजीटी लेवल पर अंग्रेज़ी पढ़ाने के बाद इन्होनें प्रधानाचार्या पद संभाला। इनका अधिकांश समय कोलकाता में बीता है। बोलपुर और बेलूर, कोलकाता में रहकर इन्होंने कत्थक और भरतनाट्यम सीखा। प्रधानाचार्या होने के साथ साथ वर्तमान में ये सीबीएसई के वर्कशॉप्स कराती हैं और सीबीएसई की किताबों की एडिटिंग भी कर रही हैं। इनकी कविताओं में बांग्ला भाषा का प्रयोग अधिक पढ़ा जा सकता है। इनका दूसरा कविता संग्रह “अंबुधि में पसरा है आकाश” वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। रज़ा फाउंडेशन की ओर से इन्हें शंभू महाराज जी पर विस्तृत कार्य करने के लिए 2021 में फैलोशिप मिली है।
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हम सबके पास एक खिड़की है .
भात ....
हम सटे थे एक दूजे से ....
हाथ ....
और नंगेली ने काट दिए अपने स्तन
चेतो मनुष्यों चेतो ....
प्रेयसियों की छातियों में शरण पायेगी कविता ....
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