Wednesday, December 4, 2024

रेखा सेठी 

प्रो. रेखा सेठी दिल्ली विश्वविद्यालय के इन्द्रप्रस्थ कॉलेज में प्राध्यापक होने के साथ-साथ एक सक्रिय लेखक, आलोचक, संपादक और अनुवादक भी हैं। उनका लेखन मूलत: समकालीन हिन्दी कविता तथा कहानी के विशेष आलोचनात्मक अध्ययन पर केन्द्रित है। रचना के मर्म तक पहुँचकर उसके संवेदनात्मक आयामों की पहचान करना उनकी आलोचना का उद्देश्य है। 

मीडिया अध्ययन, जेंडर की अवधारणा और उसकी सामाजिक अभिव्यक्ति के अध्ययन की विविध दिशाओं में भी उनकी गहरी दिलचस्पी है, जिसका प्रमाण उनके लेखन में मिलता है। पिछले कुछ समय से वे स्त्री रचनाकारों की कविताओं के अध्ययन के माध्यम से साहित्य एवं जेंडर के अंतस्संबंधों को समझने की कोशिश कर रही हैं। उनका आग्रह स्त्री-कविता को स्त्री-पक्ष और उसके पार देखने का है। स्त्री-कविता पर केन्द्रित उनकी दो पुस्तकें—‘स्त्री-कविता पक्ष और परिप्रेक्ष्य’ तथा ‘स्त्री-कविता पहचान और द्वंद्व’ राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुईं। हाल ही में उन्होंने Krishna Sobti: A Counter Archive पुस्तक का सह-सम्पादन सुकृता पॉल कुमार के साथ मिलकर किया है जो Routledge UK से प्रकाशित हुआ। 

इनके अतिरिक्त उनकी प्रकाशित पुस्तकों में प्रमुख हैं–‘विज्ञापन: भाषा और संरचना’, विज्ञापन डॉट कॉम’, ‘व्यक्ति और व्यवस्थाः स्वांतत्रयोत्तर हिन्दी कहानी का संदर्भ, ‘मैं कहीं और भी होता हूँ: कुँवर नारायण की कविताएँ’ (सं), निबन्धों की दुनिया: प्रेमचंद’ (सं), ‘निबन्धों की दुनिया: हरिशंकर परसाई’ (सं) तथा ‘निबन्धों की दुनिया: बालमुकुन्द गुप्त’(सं), ‘हवा की मोहताज क्यूँ रहूँ’ (इंदु जैन की कविताएँ – सं) आदि। उनके द्वारा अनूदित सुकृता पॉल कुमार की अंग्रेज़ी कविताओं का हिंदी अनुवाद ‘समय की कसक शीर्षक से पुस्तकाकार प्रकाशित है। उनके लिखे लेख व पुस्तक समीक्षाएँ ‘जनसत्ता’, नया ज्ञानोदय’, ‘पूर्वग्रह’, ‘संवेद’, ‘हंस’, ‘The Book Review’, ‘Indian Literature’ आदि पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहे हैं। उन्होंने अमरीका के ‘रट्गर्स विश्वविद्यालय’, लंदन के ‘इम्पीरियल कॉलेज’ तथा पुर्तगाल के ‘लिस्बन विश्वविद्यालय’, में हुए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में शोध-पत्र प्रस्तुत किये। पिछले दिनों Womens Writings in India: Issues and Perspectives विषय पर  प्रिंसटन विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई कार्यक्रम की डॉ फ़ौजिया फ़ारूकी के साथ मिलकर उन्होंने वेब लेक्चर शृंखला का संयोजन किया तथा ड्यूक यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम ‘Indian Literature of Marginalized Society’ के अंतर्गत आयोजित वक्तव्य शृंखला की अध्यक्ष के रूप में अपना सहयोग दिया।    

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