Friday, August 15, 2025
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‘जे. सी. जोशी स्मृति शब्द साधक सम्मान’ 2020 निर्मला जैन को

वर्ष 2020 का ‘शब्द साधक कविता सम्मान’ के लिए रश्मि भारद्वाज और 2021 का यह सम्मान झारखंड की दुमका की रहनेवाली कवयित्री जसिंता करकेट्टा ।

नई दिल्ली।वर्ष 2020 का ‘जे. सी. जोशी स्मृति शब्द साधक शिखर सम्मान’ प्रोफेसर निर्मला निर्मला जैन को दिया जा रहा है. निर्मला जैन ने अपनी वस्तुनिष्ठ आलोचना-दृष्टि और बेबाक अभिव्यक्ति से हिंदी आलोचना में उल्लेखनीय जगह बनाई है. हिंदी संसार को पाश्चात्य साहित्य सिद्धांत से परिचय कराने का श्रेय निर्मला जैन को जाता है. उन्होंने यूरोपीय विचारकों की कई पुस्तकों का अनुवाद हिंदी में किया है. उनकी चर्चित पुस्तकों की एक लंबी फेहरिस्त है. ‘आधुनिक हिंदी काव्य में रूप विधाएं’, ‘रस सिद्धांत और सौंदर्यशास्त्र’, ‘साहित्य साहित्यः मूल्य और मूल्यांकन’, ‘आधुनिक साहित्यः रूप और संरचना’, ‘समाजवादी साहित्य : विकास की समस्याएं’, ‘हिंदी आलोचना की बीसवीं सदी, ‘कथा समय में तीन हमसफर’, ‘पाश्चात्य साहित्य चिंतन और ‘जमाने में हम’, ‘दिल्ली शहर दर शहर’ उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं.

 

वर्ष 2020 का ‘शब्द साधक कविता सम्मान’ के लिए रश्मि भारद्वाज का चयन उनके कविता संग्रह ‘मैंने अपनी मां को जन्म दिया है’ के लिए किया गया. नई पीढ़ी की सुपरिचित कवयित्री और अनुवादक हैं, जबकि 2021 का यह सम्मान झारखंड की दुमका की रहनेवाली कवयित्री जसिंता करकेट्टा को दिया जा रहा है. जसिंता करकेट्टा आदिवासी संवेदना और सरोकारों की नई पीढ़ी की कवयित्री हैं.

वर्ष 2020 का ‘शब्द साधक हिंदीतर सम्मान’ ममांग दई को दिया जा रहा है. ममांग दई एक भारतीय आदिवासी कवयित्री, उपन्यासकार और पत्रकार हैं. 2021 के लिए यह सम्मान कावेरी राय चौधरी को दिया जा रहा है. वह बंगला की चर्चित कथाकार हैं.

वर्ष 2020 का ‘शब्द साधक अनुवाद सम्मान’ विभा रानी को दिया जा रहा है. उन्होंने प्रख्यात मैथिली रचनाकार लिली रे की कविता संग्रह का अनुवाद किया है. 2021 के लिए यह सम्मान’ युवा अनुवादक कंचन वर्मा को देने की घोषणा की गई है. उन्होंने अंग्रेजी से हिंदी में दर्जन भर पुस्तकें अनूदित की हैं.

वर्ष 2020 का ‘शब्द साधक जीवन मानक सम्मान’ संजना तिवारी को दिया जा रहा है. संजना तिवारी लगभग 25 वर्षों से हिंदी की किताबें बेचकर अपना परिवार चला रही हैं. पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली के मंडी हाउस स्थित श्रीराम सेंटर के सामने एक वृक्ष के नीचे वे हिंदी पुस्तकों की अपनी दुकान लगाती हैं. 2021 का रही थी.

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