मल्सोमि जैकब की कविताएँ
(अंग्रेजी से अनुवाद: यादवेन्द्र )
मल्सोमि जैकब मुख्य रूप से अंग्रेजी में लिखने वाली मिजो कवि कथाकार हैं। शिलांग और हैदराबाद में अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त करने वाली मल्सोमि जैकब ने शुरुआत में अंग्रेजी का अध्यापन और पत्रकारिता की पर वे खुद को मूलतः कवि मानती हैं।कविता, कहानियों के संकलन के साथ साथ “जोरमी: ए रिडेम्पशन सॉन्ग” शीर्षक उपन्यास प्रकाशित है। वे कहती हैं कि अपनी साहित्यिक कृतियों के माध्यम से लगभग दो दशकों तक चले मिजो आत्मनिर्णय के सशस्त्र संघर्ष में मिजो जनता के भावनात्मक आघात के आंतरिक उपचार का प्रयत्न करती हैं।वर्तमान में वे बंगलुरु में रहती हैं।
भारतीय अंग्रेजी लेखकों में मुल्क राज आनंद और अरुंधती राय उनके पसंदीदा लेखक हैं । आर के नारायण, किरण देसाई, रोहिंटन मिस्त्री, अरविंद अडिगा, यू आर अनंतमूर्ति और पेरूमाल मुरूगन की कृतियां उन्हें प्रिय हैं।
यहाँ प्रस्तुत हैं मल्सोमि जैकब की अंग्रेजी में लिखी कुछ कविताओं के उनकी अनुमति से किए गए अनुवाद:
विस्फोट
जीवन और मस्ती से भरपूर
यह बच्चा सात साल का ही तो हुआ था
बड़े होकर बहुत कुछ करने के ख्वाब थे
बाइक चलानी थी
जहाज उड़ानी थी
मम्मी डैडी के लिए
तोहफ़े लेकर आने थे।
जोरदार धमाका हुआ
और चुप कर गया उसकी बातें सारी
हमेशा हमेशा के लिए
बचे रहे तो बस अब रक्त के छींटे
और गहरे संताप का सागर।
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सपना जब मर जाये
सपना जब मर जाये
तब मुँह से रुलाई भी
मुश्किल से निकलेगी
इसलिए बैठकर बहा लो आँसू
कुछ पल दुःख मना लो
फिर उसकी लाश कहीं दूर जाकर
गाड़ आओ ताकि
कभी नज़र न पड़े।
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छवियों की तलाश में
इस दर्द की, इस मायूसी की
कैसे बनाई जा सकती है छवि ?
कैसे उकेर सकती हूँ छवियां
चूक गए मौकों की
और जिसका होना बिल्कुल संभव था, उनकी?
पछतावा ऐसा जिसमें दिलासा हो ही न
या जिसके लिए दूसरा चांस मिलना ही नहीं
उसके चित्र कोई कैसे बना सकता है?
क्या शून्यता की
सन्नाटे की भी
कोई छवि बनाई जा सकती है?
पहचान
तुम कहां की रहने वाली हो? तुमने पूछा
न मेरा नाम पूछा, न यह पूछा
कि मैं हूं कौन?
तुम्हें सिर्फ़ यह जानना था
कि मेरी पैदाइश कहां की है
और मैं कहां से चल कर
यहां तक आई हूं?
तो लो सुनो अपने सवालों के जवाब –
मैं उसी धरती की बेटी हूं
जिस पर तुम्हारे भी कदम चले हैं
यही धरती तुम्हें थामती है
यही तुम्हें भी खिलाती पिलाती है
यदि तुम्हें भूल गया हो तो
यह भी जान लो –
हम दोनों उसी गीली मिट्टी से बने हैं
हम दोनों को गढ़ा भी
एक ही हाथ ने है
हमें सुखाया पकाया भी
एक ही सूरज ने अपनी धूप से है
हम दोनों एक ही हवा में
सांस लेते रहे हैं
हम दोनों एक ही खेत में
उगी जुड़वां फसलें हैं
एक ही बारिश ने हम दोनों को बराबरी से सींचा है।
संभव है इतिहास के प्रारंभ में
बहनें – तुम्हारी और मेरी पुरखा बहनें
किसी मोड़ पर एक दूसरे से बिछड़ गई हों
और चल पड़ी हों उल्टी दिशाओं में
अलग-अलग राहों पर
फिर हुआ यह कि तुम्हारी बहनें
ठहर गईं मैदानी इलाकों में
और हमारी बहनें चलती चली गईं
और रुकीं पहाड़ों पर चढ़कर…
हम दोनों को ऐसे रहते बीत गईं सदियां
और धीरे धीरे अलहदा हो गई
हमारी जीवनशैली और रुचियां
इसीलिए अब मैं कोहरे से लिपटी
और बुरुंश और आर्किड की छटा के बीच
बसी पहाड़ियों में
शीतल हवा के मोहक जादू के साथ रहती हूं
और तुम समुद्र के साथ चलती
पाम वृक्षों की कतार के पीछे रहती हो
अब उन पेड़ों के बीच से
तुम मुझे आंखें फाड़ कर इस तरह घूर रही हो
जैसे मैं इस धरती की हूं ही नहीं
किसी और ग्रह से चल कर
यहां आ पहुंची जंतु हूं।