25 मार्च 2022
किरोड़ी मल कालेज दिल्ली विश्विद्यालय
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क्या अपने स्त्री दर्पण का नाम सुना है।शायद नहीं सुना होगा।स्त्री दर्पण आज़ादी की लड़ाई में स्त्रियों की आवाज़ उठाने वाली पहली महत्वपूर्ण पत्रिका थी जिसकी सम्पादक मोतीलाल नेहरू के भाई की बहू रामेश्वरी नेहरू थी।पत्रिका का प्रबंध कमला नेहरू करती थी।1909 में इलाहाबाद से बीस साल तक निकली इस पत्रिका के योगदान के बारे में हिंदी समाज भूल ही गया था।प्रज्ञा पाठक गरिमा श्रीवास्तव जैसी अध्येताओं ने उसकी तरफ ध्यान दिलाया।उसकी स्मृति को जीवित रखने के लिए 25 मार्च को हिंदी वेबसाइट् स्त्री दर्पण लांच की गई।हिंदी का उत्कृष्ट साहित्य विशेषकर स्त्री विमर्श से संबंधित साहित्य को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पेश करने के उद्देश्य से पहले स्त्री दर्पण मंच फेसबुक पर बनाया गया था। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म की स्थापना2 020 में महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि परकी गई थी। इस मंच पर अब तक करींब 50 से अधिक भूली बिसरी और समकालीन लेखिकाओं के जन्मदिन पर समारोह आयोजित किए जा चुके हैं और साहित्य से जुड़ी कई नई श्रृंखला भी प्रारंभ की गई ।”स्त्री दर्पण” ने कस्तूरबा गांधी राजेन्द्रबाला घोष, शिवरानी देवी रामेश्वरी नेहरू , महादेवी वर्मा,, सुभद्रा कुमारी चौहान,उमा नेहरू, कमला देवी चौधरी, चंद किरण सोनरेक्सा , कृष्णा सोबती, महाश्वेता देवी, इस्मत चुगताई , मन्नू भंडारी जैसी लेखिकाओं से लेकर अनामिका और सविता सिंह के जन्मदिन पर भी कार्यक्रम आयोजित किए।हिंदी साहित्य में पहली बार इतनी लेखिकाओं के जन्मदिन पर कार्यक्रम किये गए। इसके अलावा “स्त्री दर्पण” ने लेखिकाओं की पत्नियों पर एक श्रृंखला चलाई जिसमें तुलसीदास रवींद्रनाथ टैगोर रामचंद्र शुक्ल मैथिली शरण गुप्त, शिवपूजन सहाय बेनीपुरी जैनेंद्र, गोपाल सिंह नेपाली रामविलास शर्मा नागार्जुन नरेश मेहता से लेकर ज्ञानरंजन विनोद कुमार शुक्ल प्रयाग शुक्ल और राजेन्द्र दानी की पत्नियों के जीवन पर आलेख प्रस्तुत किए गए। हमने 25 अफ्रीकी कवयित्रियों की कविताओं के अनुवाद की भी एक शृंखला चलाई। पहली बार इतनी संख्या में अफ्रीकी कविताओं के अनुवाद हिंदी में आये।इन कविताओं का अनुवाद श्री विलास सिंह ने किया और उनका पाठ पारुल बंसल ने किया।साथ ही हमने 25 समकालीन कवियों की कविताओं का पाठ भी आयोजित किया।इसका संचालन अनुराधा ओस ने किया। उसके बाद “प्रतिरोध की कविताओं ” की श्रृंखला भी चलाई गई जिसमें 20 से अधिक महत्वपूर्ण कवयित्रियों की कविताओं पेश की गई ।इसका संयोजन सविता सिंह और रीतादास राम ने किया।इसके अलावा बांग्ला कवियों की कविताओं के अनुवाद की भी शृंखला हमने पेश की ।यह अनुवाद लिपिका साहा ने किए और संयोजन अलका तिवारी ने किए।इसके अलावा मुक्तिबोध की स्मृति में नौ वरिष्ठ कवियों की प्रेम कविताओं का भी पाठ आयोजित किया गया।इन कविताओं का पाठ सोमा बनर्जी ने किया। साथ ही दिवंगत कवि अज्ञेय , केदारनाथ सिंह विष्णु खरे मंगलेश डबराल की स्मृति में भी कार्यक्रम आयोजित किए गए।विश्व कवयित्रियों की कविताओं पर भी एक शृंखला आरंभ की गई।
स्त्री दर्पण ने समकालीन कवयित्रियों की प्रेम कविताओं के पाठ की एक सिरीज़ चलाई।इसके अलावा लेखिकाओं के रचना पाठ पर भी कई कार्यक्रम किये। पुस्तक परिचर्चा की शृंखला पारुल बंसल ने की।
स्त्री दर्पण ने कई नए प्रयोग किए और लोगों ने उसे सराहा।
स्त्री दर्पण वेबसाइट लांच
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