Thursday, November 21, 2024
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सीरियन कवि मरम अल मसरी की कविताएं :–

भोपाल की चर्चित कवयित्री संध्या कुलकर्णी स्त्री दर्पण के लिए अब अनुवाद की एक श्रृंखला शुरू करेंगी।इस कड़ी में सीरिया की कवयित्री की कविताएं दे रहे हैं ।अफ्रीकी कवयित्रियों की कविताएं आप पढ़ रहे हैं संध्या जी गैर अफ्रीकी क्वयित्रियो को पेश करेंगी।
……………

सीरिया
सीरिया
मेरे लिए एक बहता हुआ
नासूर है
ये मृत्यु शैया पर
पड़ी हुई मेरी माँ है
ये मेरी बिटिया है
अपनी कटी हुई ज़ुबान के साथ
यही है मेरा दुःस्वप्न
और मेरी उम्मीद
यही मेरी अनिद्रा है
और जाग भी यही …
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दस्तक
कौन है ..?
दरवाज़े पर दस्तक हुई
अपने अकेलेपन की गर्द
झाड़ कर कालीन के नीचे
सरका देती हूँ..
एक मुस्कुराहट समेटती हूँ
और दरवाज़ा खोलती हूँ..
####
कितना मूर्खतापूर्ण है
जब कभी भी मेरा दिल
कोई दस्तक सुनता है
ये अपने दरवाजे
खोल देता है …
इच्छाएं
इच्छाएं
अधिग्रहित कर लेती हैं मुझे
और मेरी आँखें
चमकने लगती हैं
मैं अपनी क़रीब की
दराज़ में अपनी सारी नैतिकता
ठूस देती हूँ …
बदल जाती हूँ
एक शैतान में
देवदूतों के आंख पर
बान्ध देती हूँ पट्टीयां
केवल एक चुम्बन
के लिए…
####
आज़ादी का सपना
कैसे बोलना है
मुझ जैसी औरत नहीं जानती
एक शब्द कांटें की तरह
उनके गले मे अटकता है
मुझ जैसी औरत को
वो निगल लेना चाहते हैं …
मुझ सी औरत
सिर्फ रोना जानती है
नामुमकिन सा रोना…
अचानक एक
भरी हुई धमनी की तरह
बहने लगती है
आघात पाती है
और नहीं घबराती
वापस करने में उन्हें ..
शेर की तरह गुस्से से
हिलते हैं …
और पिंजरे में बंद शेर की तरह
आधीन हो जाते हैं
मुझ सी औरत
सपना देखती है
आज़ादी का …..
####
उस रात
मैंने अपने पिता को मार दिया
उस रात , या शायद दूसरे दिन
याद नहीं …
मैं भाग रही थी
एक सूटकेस में
अपने ख्वाबों और अमनेशिया को भर कर
उनके साथ
अपनी तस्वीर लिए
जब युवा थी मैं..
और वो
अपनी बाहों में
लिए थे मुझे….
मैंने
एक खूबसूरत कवच में
गहरे समंदर में
अपने पिता को क़ब्र किया था….
लेकिन वो मुझे
ढूंढ लेते हैं पलंग के ठीक नीचे
भय और अकेलेपन में
कांपते हुए…
####
इससे अधिक
वह कुछ नहीं चाहता
एक घर ,बच्चे
और पत्नी ,जो उसे प्यार करे
लेकिन वो एक दिन जागता है
और पाता है कि, उसका उत्साह
बूढ़ा हो गया है
####
वो इससे अधिक
कुछ नहीं चाहती
एक घर , बच्चे और पति
जो उसे प्यार करे …
एक दिन वो उठती है
और पाती है
कि , उसकी आत्मा ने
एक खिड़की खोल ली है
और उड़ गई है …
####
वो मुझ तक आया
एक पुरुष के शरीर को धारण कर
मैंने उसकी ओर ध्यान नही दिया
उसने कहा..
खोलो ..में हूँ पवित्र आत्मा
मैं उसकी अवमानना करने से डरी
और उसे चुम्बन लेने दिया…
उसने अपनी नज़रों से
अनावृत किया मुझे
और मुझे एक खूबसूरत स्त्री में
तब्दील कर दिया
फिर उसने अपनी आत्मा
मेरे भीतर बहा दी
एक चमक और
गड़गड़ाहट के साथ…
मैं यक़ीन करती हूँ…
####
प्रेम
नमक की
डली की तरह
वो चमके..
वो पिघले
इस तरह वो अदृश्य हुए..
वो पुरुष
जिन्होंने प्रेम
नहीं किया मुझे …
मरम अल मसरी
अनुवाद : संध्या
मरम अल मसरी के बारे में :—
Maram al-Masri is a Syrian writer, living in Paris, She is considered “one of the most renowned and captivating feminine voices of her generation” in Arabic.
Born: 2 August 1962 (age 56 years), Latakia, Syria
Books: A red cherry on a white-tiled floor, Liberty Walks Naked
संध्या जी का परिचय
जन्म :15 अगस्त
भोपाल , मध्य प्रदेश ।
वाणिज्य विषय में
स्नातकोत्तर
एक काव्य संग्रह
“खोज का तर्जुमा”
प्रकाशित
समय समय पर
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं
एवं ब्लॉग्स पर
रचनाएं प्रकाशित
दूरदर्शन और
आकाशवाणी से
रचनाओं
का लगातार प्रसारण ।
निवास : 76 A रजत विहार कॉलोनी , होशंगाबाद
रोड , भोपाल (म प्र ) ।
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