Wednesday, December 4, 2024
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अनामिका बनर्जी

जन्म -वृन्दावन (मथुरा )1मार्च 1983
वर्तमान में मुंबई महाराष्ट्र
वृत्ति – अध्यापन
शिक्षा –
अंग्रेज़ी, हिंदी और शिक्षा में स्नातकोत्तर, बी,एड,

सह भागिता – वृन्दावन मथुरा के विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में सहभागिता, इसके साथ ही यू ट्यूब में स्व चैनल ‘मेरी कविताएं, मेरे गीत नाम से, उसमे विभिन्न विषयो पर स्वरचित कविताओं तथा गीतों की प्रस्तुति, इसके साथ ही शब्दे संगम नामक डिजिटल पत्रिका में कई कविताएं प्रकाशित, कुंभ मेला,बाल मेला तथा रामकृष्ण मिशन की पत्रिकाओं में एवम वामांगी, शैक्षिक चेतना, रूपायन नामक पत्रिकाओ में स्वरचित कविताओं का प्रकाशन

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कृष्णा तेरे रूप निराले /कृष्णा पर कविता

कृष्णा तेरे रूप निराले,अदभुत अनंयतम नयन अघारे
 
कभी सखा बन पथ दिखलाते, कभी द्रोपदी की लाज बचाते
कभी गोवेर्धन पर्वत धर गिरधर कहलाते, सब भक्तो के संकट हर जाते
कभी विराट रूप दिखा गीता सार बतलाते, और कभी नटखट लल्ला बन जाते
 
कृष्णा तेरे रूप निराले,
 
कभी राधे कृष्ण के प्रेम की अदभुत परिभाषा दे जाते
कभी गोपिन सँग रास रचाते
कालिया नाग को धूल चटाते, मुरली की धुन में सब को रिझाते 
कृष्णा तेरे रूप निराले
 
ओ कान्हा, जब जब मानव मन हारा
तब तब तुमने है थामा
है धरती भरी पड़ी पापो से
निर्लज्ज असभ्य मानव पशुओ से
जिनको न तनिक संकोच न शिकवा
कर देते रोज कितनो को अस्मिता से अगवा
आके फिर से चक्र चलाओ
इन पथ भ्रष्टॉ को पथ दिखलाओ
 
कृष्णा तेरे रूप निराले
अदभुत अन्नयतम नयन आघारे 
 
 
रक्षण करते भक्तो का तुम ओ बंशी वजेयाँ
इक़ तुम ही नेराश्य में आस जग के खिबेया
कितने कितने नाम तिहारे,
सब भक्तन के हो प्राण पियारे
 
कृष्णा तेरे रूप निराले
अदभुत  अनन्यनतम नयन अघारे
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