Sunday, November 24, 2024
Homeगतिविधियाँतुमुल कोलाहल में स्त्री स्वर

तुमुल कोलाहल में स्त्री स्वर

दुनिया को बेहतर बनाने के लिए स्त्री वाद की दृष्टि से देखा जाना जरूरी है।–सुजाता

हिंदी की चर्चित कवयित्री आलोचक सुजाता को आज मिला 27 वां देवीशंकर अवस्थी स्मृति सम्मान।
यह संयोग है कि जब इस पुरस्कार की घोषणा हुई थी तब सावित्री बाई फुले का जन्म दिन था आज जब यह पुरस्कार मिल रहा तब तब पण्डिता रमा बाई की 101वीं पुण्यतिथि है।
समारोह में सुजाता ने अपना पुरस्कार अपने देश की पुरखिनों को समर्पित किया।
समारोह में वरिष्ठ लेखिका मृदुला गर्ग ने सुजाता को यह पुरस्कार प्रदान किया।यह सम्मान सुजाता की दो वर्ष पूर्व प्रकाशित किताब आलोचना का स्त्री पक्ष पर दिया गया।समारोह में मंच पर विश्वनाथ त्रिपाठी अशोक वाजपेयी मौजूद थे।
सुजाता ने अपने विचारोत्तेजक आलेख में कई सवाल उठाए।उन्होंने महत्वपूर्ण बात यह कही कि स्त्री को देह से मुक्त होना है पर इसी देह से महसूस करती है स्त्री।उन्होंने बताया कि बुद्ध ने कहा स्त्री होना दुख है।पर स्त्री लेखन केवल दुख का वर्णन नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा यह मर्दों की बनाई दुनिया का मिरर इमेज नहीं है।यह एक दर्शन है
उन्होंने अपने आलेख में भारतीय भाषाओं में हुए स्त्री विमर्श को रेखाँकित करते हुए बताया कि किस तरह स्त्री लेखन का मूल्यांकन नहीं हुआ बल्कि उसकी उपेक्षा की गई क्योंकि स्त्री के प्रति एक द्वेष भाव दिखाई देता है।
स्त्री की पीड़ा को मानवता की पीड़ा नहीं माना गया।जबकि पुरुष की पीड़ा को मानवता की पीड़ा बताया गया।हिंदी साहित्य को समावेशी बनाने की जरूरत है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

error: Content is protected !!