आर्किटेक्चर के क्षेत्र में हम लोग पुरुषों के नाम ही सुनते हैं ,किसी महिला आर्किटेक्ट का नाम आपने शायद् नहीं सुना होगा। आमतौर पर लोगों ने लुटियंस , ल कार्बूजिए और चार्ल्स कोरिया जैसे विश्व प्रसिद्ध आर्किटेक्चर का नाम सुना है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक ऐसी महिला आर्किटेक्ट भी जन्मी थी जो भारत की ही नहीं एशिया की पहली महिला आर्किटेक्ट थी और जिनका बहुत बड़ा योगदान चंडीगढ़ को बसाने में भी था।उनका नाम उर्मिला यूली चौधरी था।
कल चंडीगढ़ में उनकी जन्म शताब्दी पर एक बड़ा आयोजन हुआ।4 अक्टूबर 1923 को जन्मी उर्मिला जी के पिता डिप्लोमेट थे इसलिए उनकी पढ़ाई लिखाई विदेशों में हुई ।
योजना रावत के माध्यम से हम आपको उस महिला आर्किटेक्ट के बारे में परिचित कर रहे हैं ।4 अक्टूबर 1923 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जन्मी उर्मिला यूली चौधरी
के पिता एक राजनयिक थे और इस नाते वह दुनिया के कई शहरों में रही ।उन्होंने 1947 में सिडनी विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर में बी ए किया था इससे पहले उन्होंने जापान से कैंब्रिज स्कूल सर्टिफिकेट की डिग्री पाई थी। उन्होंने सेरेमिक्स में भी न्यू जर्सी से डिप्लोमा हासिल की थी ।
उन्होंने अमेरिका में भी काम किया था । 1951 में वह भारत लौट आई थी तथा ल कोर्बुजिए की टीम में शामिल हो गई। उन्होंने उस दौरान जुगल किशोर चौधरी से शादी की थी जो उसे समय पंजाब के मुख्य वास्तुकार थे।
उर्मिला जी 1981 तक चंडीगढ़ में रही ।वह 1976 से 81 तक पंजाब के चीफ आर्किटेक्ट पद पर रहीं। न उसके बाद वह दिल्ली में स्कूल आफ प्लैनिंग एंड आर्किटेक्चर की निर्देशक बन गई ।
उन्होंने कार्बूजिए पर संस्मरण की एक किताब भी लिखी है। उन्होने कार्बूजिए की एक पुस्तक का फ्रांसीसी भाषा से हिंदी में अनुवाद भी किया है ।
हिल पोस्ट से साभार