सीमा आज़ाद
जन्म- 5 अगस्त 1975
सम्पादक ‘दस्तक नये समय की’ द्वैमासिक सामाजिक राजनीति पत्रिका
मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल से सम्बद्ध एक्टिविस्ट
लेख, कहानियां, कविताएं विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित।
प्रकाशित पुस्तकें- ज़िंदांनामा, चांद तारों के बगैर एक दुनिया (जेल डायरी), सरोगेट कन्ट्री (कहानी संग्रह), औरत का सफर, जेल से जेल तक (जेल की सत्ताइस औरतों की कहानी)
कविता के लिए 2012 का ‘लक्ष्मण प्रसाद मंडलोई स्मृति सम्मान’
‘औरत का सफर, जेल से जेल तक’ पर 2021 का लाडली मीडिया पुरस्कार
ईमेल seemaaazad@gmail.com
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कविताएं
अगर तुम औरत हो
आई कांट ब्रीथ
फिलीस्तीन के बच्चे
मैं तो फूल रोप रहा था
जब उस रॉकेट ने हमें मारा।
मेरे बाबा कहते हैं
उनके अब्बू ने
इसी धरती पर देखे थे
बहुत से सुन्दर फूल।
अब वहां उगा है
इजरायली राकेट के टुकड़े
जिनके पीछे लिखा है यूएसए।
मुझे फूल बहुत पसन्द थे,
इतने कि
मैं माली बनना चाहता था बड़ा होकर,
धरती पर फूल सजाने वाला माली।
उस वक्त भी मैं फूल ही रोप रहा था
मेरी बहन ने
राकेट के उस टुकड़े को
धरती से खींचकर
कटीले बाड़ के उस पार फंेक दिया था
और खिलखिला पड़ी थी,
मेरा एक दोस्त
खुशी से उछल रहा था-
धरती फोड़कर निकल आये
एक और फूल को देखकर।
एक और दोस्त
पास ही खड़ा
आसमान में कबूतरों को उड़ा रहा था।
ठीक उसी वक्त वह रॉकेट आया था हमारी ओर
और
हम सब मारे गये,
मैं, मेरी बहन, मेरे दोस्त, कबूतर
और वह फूल भी
जो धरती फोड़कर बाहर आ रहा था
लेकिन वह पौधा
जिसे मैं रोप रहा था
छिंटककर दूर जा गिरा था
उसे फिर से रोप रहा है
मेरा एक और दोस्त
उसकी बहन
सहयोग के लिए दौड़ी आ रही है।
विरासत
वरवर राव के लिए
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किताबें
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