Wednesday, October 15, 2025

सीमा आज़ाद
जन्म- 5 अगस्त 1975
सम्पादक ‘दस्तक नये समय की’ द्वैमासिक सामाजिक राजनीति पत्रिका
मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल से सम्बद्ध एक्टिविस्ट
लेख, कहानियां, कविताएं विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित।
प्रकाशित पुस्तकें- ज़िंदांनामा, चांद तारों के बगैर एक दुनिया (जेल डायरी), सरोगेट कन्ट्री (कहानी संग्रह), औरत का सफर, जेल से जेल तक (जेल की सत्ताइस औरतों की कहानी)
कविता के लिए 2012 का ‘लक्ष्मण प्रसाद मंडलोई स्मृति सम्मान’
‘औरत का सफर, जेल से जेल तक’ पर 2021 का लाडली मीडिया पुरस्कार
ईमेल seemaaazad@gmail.com

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कविताएं

अगर तुम औरत हो

अगर तुम
कश्मीरी औरत हो
तो राष्ट्रभक्ति के लिए हो सकता है
तुम्हारा बलात्कार,
बलात्कारियों के समर्थन में
फहराये जा सकते हैं तिरंगे।
 
अगर तुम
मणिपुरी या सात बहनों के देश की बेटी हो
तो भी रौंदी जा सकती हो तुम.
राष्ट्रभक्ति के लिए
तुम्हारी योनि में
मारी जा सकती है गोली।
 
अगर तुम
आदिवासी औरत हो
तो तुम्हारी योनि में
भरे जा सकते हैं पत्थर
और कभी भी
काटा या निचोड़ा जा सकता है
तुम्हारा स्तन
राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए।
 
अगर तुम
मुस्लिम औरत हो
तब तो
कब्र में भी सुरक्षित नहीं हो तुम,
हिन्दू राष्ट्र के लिए
कभी भी निकाला जा सकता है तुम्हें
बलात्कार के लिए.
फाड़ी जा सकती है तुम्हारी कोख
मादा शरीर की खोज में।
 
अगर तुम
दलित औरत हो
तो सिर्फ पढ़-लिख कर
वर्णव्यवस्था में सेंध लगाने के लिए
लोहे की रॉड डाली जा सकती है
तुम्हारी योनि में
खैरलांजी की तरह।
तोड़ी जा सकती है गर्दन, हाथ-पांव
हाथरस की तरह।
 
अगर तुम
सवर्ण औरत हो
तब भी सुरक्षित नहीं हो तुम
गैंग रेप की बात जुबान से निकालने भर से
मनुस्मृति की अवहेलना हो जाती है
इसके लिए
हत्या की जा सकती है
तुम्हारी या तुम्हारे पिता/भाई की।
 
अगर तुम
पुरूष सत्ता को
चुनौती देने वाली औरत हो
तब तो धमकियां बलात्कार की ही मिलेंगी
हो भी सकती हो बलत्कृत
किसी पुलिस थाने या हवेली में।
 
तुम कुछ भी हो
अगर औरत हो
तो हो निजाम के निशाने पर
 
इसलिए
अगर तुम औरत हो
तो बहुत जरूरी है
घरों से बाहर निकलना
सड़कों पर उतरना
और भिड़ना उस फासिस्ट निजाम से
जिनके लिए
हम औरतें
केवल शरीर हैं,
जिनका बलात्कार किया जा सकता है
अनेक वजहों से
कहीं भी, कभी भी।

आई कांट ब्रीथ

मुझे घुटन हो रही है
सदियां बीत गईं
मेरे फेफड़े नहीं भर सके ताजी हवा से
जार्ज फ्लोयड
केवल तुम नहीं
हम भी सांस नहीं ले पा रहे हैं।
 
गांवों के बजबजाते दक्खिन टोले में
महानगरों के विषैले सीवर होल में,
मनुवाद के घुटनो तले
घुट रहे हैं हम
सदियों से।
जार्ज फ्लोयड
हम भी सांस नहीं ले पा रहे हैं।
 
घरों के सामंती बाड़े में
रसोईंघर के धुए में,
धर्मग्रंथों के पन्नों तले,
घुट रहे हैं हम
सदियों से।
जार्ज फ्लोयड
केवल तुम नहीं
हम भी सांस नहीं ले पा रहे हैं।
 
हम भी सदियों से सांस नहीं ले पा रहे हैं,
अहिल्या और सीता के रामराज्य से-
उना के लोकतान्त्रिक राज्य तक,
हममें से कुछ घुटन से मरे
तो कुछ का दम घोंट दिया गया
तुम्हारी तरह।
प्रियंका-सुरेखा भोटमांगे, रोहित वेमुला, पायल तडवी, मनीषा, सपना-
और कई अनाम नामों की
लंबी श्रृंखला है
जो इस घुटन से मारे गये।
 
जॉर्ज फ्लोयड
तुम्हें यूं मरते देख
हमारी घुटन बढ़ गई है,
अचानक हम सबने एक साथ महसूस किया-
‘‘वी कांट ब्रीथ’’
हमें ताजी हवा चाहिए।
 
तुम्हारे देश में
लोग मुट्ठी तानें सड़कों पर उतर गये हैं
घुटन से निकलने के लिए,
ताजी हवा के लिए,
 
जॉर्ज फ्लोयड
यह हवा आंधी बन सकती है।
इसे इधर भी आने दो।

फिलीस्तीन के बच्चे

मैं तो फूल रोप रहा था
जब उस रॉकेट ने हमें मारा।
मेरे बाबा कहते हैं
उनके अब्बू ने
इसी धरती पर देखे थे
बहुत से सुन्दर फूल।
अब वहां उगा है
इजरायली राकेट के टुकड़े
जिनके पीछे लिखा है यूएसए।
मुझे फूल बहुत पसन्द थे,
इतने कि
मैं माली बनना चाहता था बड़ा होकर,
धरती पर फूल सजाने वाला माली।
उस वक्त भी मैं फूल ही रोप रहा था
मेरी बहन ने
राकेट के उस टुकड़े को
धरती से खींचकर
कटीले बाड़ के उस पार फंेक दिया था
और खिलखिला पड़ी थी,
मेरा एक दोस्त
खुशी से उछल रहा था-
धरती फोड़कर निकल आये
एक और फूल को देखकर।
एक और दोस्त
पास ही खड़ा
आसमान में कबूतरों को उड़ा रहा था।
ठीक उसी वक्त वह रॉकेट आया था हमारी ओर
और
हम सब मारे गये,
मैं, मेरी बहन, मेरे दोस्त, कबूतर
और वह फूल भी
जो धरती फोड़कर बाहर आ रहा था
लेकिन वह पौधा
जिसे मैं रोप रहा था
छिंटककर दूर जा गिरा था
उसे फिर से रोप रहा है
मेरा एक और दोस्त
उसकी बहन
सहयोग के लिए दौड़ी आ रही है।

विरासत

जैसे पिता सौंपते हैं
अपने बेटों को
संपत्ति, वंश परंपरा
और घर के प्रथम नागरिक होने का रुतबा,
मांऐं सौंपती हैं
अपनी बेटियों को
अपनी प्रेम कहानियां-
जो अक्सर अधूरी होती हैं।
 
बेटियां
 तलाशती हैं उम्र भर
अधूरी प्रेम कहानियों में उम्मीद का एक सिरा
और प्रेम करती हैं।
उन्हें फिर मिलती है
एक अधूरी प्रेम कथा
अपनी बेटियों को सौंपने के लिए।
 
मांऐं और बेटियां
पीढ़ियों से  प्रेम बचा रही हैं,
पिता और पुत्र
संपत्ति, वंश परंपरा
और घर के प्रथम नागरिक का रुतबा।
 
प्रेम कहानियां इसीलिए अधूरी हैं
अब तक।

वरवर राव के लिए

वो कविताओं में उतर कर
क्रांति के बीज बोता है,
वे कविता लिखता भर नहीं
उसे जीता भी है,
कविता के स्वप्न को
जमीन पर बोता भी है।
वो सिर्फ कवि नहीं
क्रांतिकारी कवि है।
 
कहते हैं
कवि कैद हो सकता है
कविता आजाद होती है,
कवि मर जाता है
कविता ज़िंदा रहती है
और समय के दिल में धड़कती रहती है।
लेकिन वह सिर्फ कवि नहीं है
कविता बन चुका है।
कविता बन समय के दिल में धड़क रहा है।
गौर से देखो
सत्ता के निशाने पर
सिर्फ कवि नहीं
कविता भी है।
जेल के भीतर ही
कविता ही हत्या की सुपारी दी जा चुकी है
समय का दिल खतरे में है।
ऐसे समय से निकलने की राह
उसने ही बताई है-
‘कविता सिर्फ लिखो मत
उसे जिओ भी,
कविता के स्वप्न को
जमीन पर बोओ भी,
कविता में उतर
क्रांति के बीज बोओ भी।

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किताबें

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