अपाला वत्स


जन्मस्थान _ सुपौल ,बिहार
शिक्षा _MBA
आरंभिक शिक्षा _ इंदिरा गांधी बालिका विद्यालय, हजारीबाग से हुई, चार साल के आवासीय विद्यालय में रहने से अनुशासन उनके जीवन में घुल- मिल गया और काम के प्रति समर्पण का भाव भी वहीं से मिला। 10 वीं में उन्होंने एडिशनल सब्जेक्ट में फाइन आर्ट्स लिया। लेकिन फिर पढ़ाई और नौकरी में व्यस्त हो गई और आर्ट कहीं पीछे छूट गया। वो 8 वर्षों तक दैनिक जागरण रांची में कार्यरत रही और उन्होंने कुछ समय तक दिल्ली में राजकमल प्रकाशन में ब्रांड मैनेजर के रूप मे काम किया। शादी के बाद पति का सहयोग और प्रोत्साहन मिला और चित्रकला की तरफ फिर से समय निकालना शुरू किया, अपाला की माँ भी एक चित्रकार और मूर्तिकार हैं और अपाला की प्रेरणा भी। अपाला कहती हैं ,” अपने मन और आस पास की औरतों की कही अनकही बातों ने रेखाओं का आकार पाना शुरू किया और मुझे मेरे जीवन का नया अर्थ मिला, मुझे लगता है यही एक माध्यम है जिसमें मैं अपने भावों को शब्दों से भी ज्यादा व्यक्त कर सकती हूं ,मेरी कला की उम्र और मेरी बेटी की उम्र बराबर है तीन साल, उसके जन्म के साथ ही मैंने अपना जीवन का भी नया अर्थ पहचाना और अपनी रुचि और काम के लिए कॉम्प्रोमाइज करना नही सीखा। “उन्होंने “अपाला क्रिएशन” के नाम से फेसबुक पर पेज बनाया और प्रकाशकों ने संपर्क करना शुरू किया ।अब तक उनके हिंदी , अंग्रेजी,मैथिली ,भोजपुरी और ,पंजाबी भाषा में किताबों पर कई रेखा चित्र प्रकाशित हो चुके है। एक रेखा चित्र का मूल्य वो 2500 से 5000 तक काम के हिसाब से तय करती है । अपाला सप्ताह में तीन दिन ऑनलाइन क्लासेज भी लेती है बच्चों और महिलाओं के लिए । वह कहती है ,”कला से आर्थिक संबलता और आत्मिक संतुष्टि दोनों से बहुत खुश हूं और बाकी औरतों से भी यही कहना चाहूंगी अपने मन को मत मरने दीजिए जिसमे भी रुचि हो थोड़ा समय ज़रूर निकाले उस काम के लिए।“