अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका गीतांजलि श्रीने कहा कि भारत पाक विभाजन की टीस अभी भी समाज में मौजूद है लेकिन अब तो कई तरह के विभाजन मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि वह विभाजन की त्रासदी की शिकार भले न रही लेकिन उत्तरप्रदेश में उनके शहर के आस पास और पड़ोस के लोगों के जेहन में विभाजन का दर्द और तीस आज भी मौजूद है लेकिन अब केवल राजनीतिक विभाजन ही समाज मे नहीं है बल्कि बाजार और उपभोक्तावाद ने भीसमाज मे विभाजन पैदा कर दिए हैं।हमारा समाज विभिन वर्गों में भी विभाजित हो गया है।
गीतांजलि श्री ने कल शाम प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित समारोह में यह बात कही।इस अवसर परउन पर निकले स्त्री दर्पण के विशेषांक को उन्हें भेंट किया गया ।
समारोह में आजादी की लड़ाई में ऐतिहासिक भूमिका निभाने वाली “स्त्री दर्पण” पत्रिका का प्रवेशांक गीतांजलि श्री को भेंट किया गया। यह पत्रिका 1909 में इलाहाबाद से निकली थी लेकिन 1929 में बंद हो गई और 93 साल के बाद यह पत्रिका दोबारा निकली है ।इसकी संपादक नेहरू खानदान की पद्मभूषण से सम्मानित रामेश्वरी देवी थी जिनका निधन 1966 में हो गया था ।अब इस पत्रिका को फिर से शुरू किया गया है।
हिंदी की प्रसिद्ध आलोचक और “स्त्री दर्पण” पत्रिका की संपादकीय सलाहकार डॉक्टर सुधा सिंह ने गीतांजलि श्री को पत्रिका का पहला अंक भेंट किया है जो भी उन पर ही केंद्रित है।
पत्रिका के संपादक वरिष्ठ पत्रकार एवम यूनीवार्ता के पूर्व विशेष संवाददाता अरविंद कुमार एवम प्रोफेसर सविता सिंह हैं।
बूकर प्राइज मिलने के बाद एक माह के भीतर निकली यह पहली पत्रिका है जो गीतांजलि श्रीपर केंद्रित है।
प्रो सुधा सिंह ने बताया कि गीतांजलि श्री का उपन्यास “रेत समाधि “शिल्प और भाषा की नवीनता से उपन्यास के ढांचे को ही नहीं तोड़ता बल्कि सरहदों को भी तोड़ता है।बूकर प्राइज रेत समाधि के अंग्रेजी अनुवाद को मिला है।वह हिंदी की पहली लेखिका जिनको यह पुरस्कार मिला है।
गीतांजलि श्री ने अपने उपन्यास केकुछ अंशों का पाठ किया जिसमें बाघा बॉर्डर पर दोनों देशों के अंदर राष्ट्रवाद का जिक्र करते हुए विभाजन की पीड़ा अभी तक गई नहीं है और अभी भी हमारे समाज में विभाजन होता जा रहा है बल्कि अब तो केवल राजनीतिक विभाजन ही नहीं बल्कि बाजार और उपभोक्तावाद में भी समाज में विभाजन पैदा कर दिया है समारोह में एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन ने गीतांजलि श्री से बातचीत करते हुए सवाल-जवाब भी किए ।गीतांजलि ने अपने जवाब में लेखक की राजनीति और स्त्री प्रश्नों सोशल मीडिया आदि पर टिप्पणी की और उन्होंने बताया कि समाज और मनुष्य को हमेशा साहित्य और कला की जरूरत महसूस होती रहेगी क्योंकि इससे मनुष्य को तृप्ति और संतुष्टि का बोध होता है।
अतिथियों का स्वागत और समारोह का संचालन प्रेस क्लब के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने किया।