जबलपुर। पहल, सविता कथा सम्मान समिति व मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के संयुक्त तत्वावधान में ‘कहानियों का एक दिन’ कार्यक्रम में आज रानी दुर्गावती संग्रहालय की कला वीथिका में भोपाल की श्रद्धा श्रीवास्तव, रायपुर के आनंद हर्षुल, दिल्ली की अंजू शर्मा व देवास के मनीष वैद्य ने अपनी कहानियों का पाठ किया और उन पर दो समीक्षकों राजीव कुमार शुक्ल और डा. भारती शुक्ला ने की टिप्पणियां की।
सुबह के सत्र में रायपुर के आनंद हर्षुल व भोपाल की श्रद्धा श्रीवास्तव अपनी रचना का पाठ किया। श्रद्धा श्रीवास्तव ने सरहुल का फूल और आनंद हर्षुल ने अपनी लघु कहानियों परिवार, आतंक, डूब में बच्चे, आदमी से चिड़ियों का भय, प्रेम में लड़की, दीवार के पार, मृत्यु का इंतजार करते बूढ़े और ईश्वर, बेटे का कद, अंतिम व्यक्ति का घेरा कहानियों का पाठ किया।
सुबह के सत्र में श्रद्धा श्रीवास्तव व आनंद हर्षुल की कहानियों पर सूक्ष्म टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ समीक्षक राजीव कुमार शुक्ल ने कहा कि कहानियां आधुनिकता का संस्कार बोध देती हैं। दोनों रचनाकार जोखिम लेते हैं। श्रद्धा श्रीवास्तव विषयवस्तु का जोखिम उठाती हैं। वे बस्तर और नक्सलवाद को विषयवस्तु बना कर लिखती हैं जबकि आनंद हर्षुल का जोखिम भाषा का बर्ताव है और वे गंभीरता से जीवन को पकड़ते हैं। समीक्षक राजीव कुमार शुक्ल ने कहा कि आनंद हर्षुल की कहानियों में जीवन की आस्था बढ़ाती हैं।
शाम के सत्र में मनीष वैद्य ने “फिरकनी में चांद” व अंजू शर्मा ने ‘आउटडेटेड ” कहानी का पाठ किया।
डा. भारती शुक्ला ने इन दोनों कहानियों का विश्लेषण करते हुए कहा कि मनीष वैद्य की कहानी संवेदनात्मक स्तर पर बैचेनी उत्पन्न करती है। स्पर्श करने वाली पंक्तियां उनकी कहानियों की विशेषता है। जीवन की छोटी छोटी घटनाओं को वे कहानियों की विषयवस्तु बना लेते हैं।
डा. भारती शुक्ला ने अंजू शर्मा की कहानी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनकी कहानियां स्त्री मन का विस्तार है। जीवन की विभीषिकाएं कहानियों की सामग्री है।
दोनों सत्रों में उपस्थित श्रोताओं ने कथाकारों की कहानियों पर अपनी टिप्पणी दी। सुबह के सत्र का संचालन कवि विवेक चतुर्वेदी ने और शाम के सत्र का संचालन कथाकार पंकज स्वामी ने किया। इस अवसर कार्यक्रम के संयोजक राजेन्द्र दानी, विख्यात कथाकार ज्ञानरंजन, मनोहर बिल्लौरे, चित्रकार सुरेश श्रीवास्तव, अवधेश बाजपेयी, आदि उपस्थित थे।आभार शरद उपाध्याय ने व्यक्त किया।
– प्रस्तुति
पंकज स्वामी