हिंदी की कवि कथाकार अनीता दुबे बचपन से ही पत्थरों को संग्रहित करने का शौक रखती आई हैं लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इन पत्थर के टुकड़ों से लोगों के चेहरे बनाने शुरू किये और आज वह देश की अनोखी प्रस्तर कला कलाकार बन गई है। दिल्ली में गांधी संग्रहालय में उनके चित्रों की एक आज प्रदर्शनी लगी जिसमें करीब 75 चित्र लगे हैं।उन्होंने पत्थरों से गांधी की कहानी लिखी है।
इस प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रसिद्ध गांधीवादी समाजसेवी एवं दिल्ली के विशेष पुलिस आयुक्त रोबिन हिबू ने किया और इस मौके पर बोस्निया के राजदूत एवं संयुक्त राष्ट्र शांति समिति के पूर्व प्रमुख मोहम्मद सेंजिक गांधी संग्रहालय के प्रमुख ए अन्नामलाई तथा इस प्रदर्शनी में एक अनोखा इंस्टॉलेशन करने वाले कलाकार नितिन शर्मा भी मौजूद थे ।
1996 बैच के आईपीएस अधिकारी रोबिन ने प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए कहा कि इन चित्रों ने उन्हें अद्भुत प्रेरणा दी है और वे गांधी की स्मृति में अपने पुस्तकालय में अनीता दुबे की चित्र को शामिल करना चाहेंगे और 2 अक्टूबर को वहां एक समारोह आयोजित करेंगे जहां 7 फीट की गांधी की एक कांस्य प्रतिमा का अनावरण होगा।
श्री रोबिन अपने वेतन की आधी राशि हर माह खर्च कर गांधी के नाम पर खुद एक इसेबनाया है। उन्होंने गांधीजी के लिए अपनी जमीन और मकान आदि दान में दे दी है ।
अनीता दुबे ने अपने उद्बोधन में अपनी कला यात्रा का कि कैसे उन्होंने एक वर्ष में पत्थरों से गांधी की कहानी लिखी ।पहले उन्होंने दांडी यात्रा को पत्थरों से उकेरा फिर बाद में उन्होंने गांधी के जन्म से लेकर और उनकी शहादत तक की यात्रा पत्थरों में लिखी। अगले 3 माह तक यह प्रदर्शनी जारी रहेगी ।
इस अनोखी प्रदर्शनी को एक बार अवश्य देखें और उन्हें अपनी प्रतिक्रिया भी जरूर अवगत कराएं ताकि उनका मनोबल बना रहे।
पिछले दिनों भोपाल में भी उनके चित्रों की प्रदर्शनी लगी थी।