01 जुलाई 2022
मित्रो स्त्री दर्पण के मंच पर आपका स्वागत है ।आज का दिन बड़ा ऐतिहासिक दिन है क्योंकि आज हम “स्त्री दर्पण” पत्रिका को ऑनलाइन लांच कर रहे हैं। आप स्त्री दर्पण पत्रिका के इतिहास से वाकिफ होंगे कि किस तरह यह पत्रिका 1909 से लेकर 1929 तक 20 सालों तक निर्बाध रूप से निकली । इसकी संपादक रामेश्वरी नेहरू थी जो मोतीलाल नेहरू के चचेरे भाई बृजलाल नेहरू की बहू थीं। जिस तरह आजादी की लड़ाई में गणेश शंकर विद्यार्थी के” प्रताप ” महावीर प्रसाद द्विवेदी की “सरस्वती” और महादेव प्रसाद सेठ के “मतवाला” तथा प्रेमचंद की ” हंस” पत्रिका ने अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभाई कुछ वैसे ही भूमिका” स्त्री दर्पण “ने भी निभाई थी लेकिन इतिहासकारों ने उसके महती योगदान पर अधिक ध्यान नहीं दिया ।अब स्त्री नवजागरण की अधेयताओं ने इसकी तरफ हिंदी जगत का ध्यान दिलाया तो लोगों को इसकी ऐतिहासिक भूमिका के बारे में जानकारी मिली। हम आज उसी “स्त्रीदर्पण “की स्मृति में इस नई पत्रिका का लोकार्पण कर रहे हैं। आपको मालूम होगा कि 2 वर्ष पूर्व महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि के मौके पर फेसबुक ग्रुप का गठन हुआ था और देखते देखते डेढ़ वर्षो में इसके सदस्यों की संख्या 10,000 से अधिक हो गई और अब दुनिया के 54 देशों और भारत के सौ शहरों में “स्त्रीदर्पण “को देखा और पढ़ा जा रहा है।
इसकी सफलता को देखते हुए हम लोगों नेइस नाम से वेबसाइट निर्माण कियाआप इंग्लिश में स्त्री दर्पण टाइप करें आपको वेबसाइट दिख जाएगी। अब तक उस पर 1,000 से अधिक प्रविष्टियां दर्ज की गई है और करींब सवा सौ लेखिकाओ के पेज बन गए हैं तथा 80 वीडियो भी पोस्ट किए गए हैं और यूट्यूब निर्माण किया गया है। अब तीसरे चरण में हमने एक पत्रिका निकाली है जिसके सलाहकार मंडल में हिंदी की अत्यंत सम्मानित लेखिका मृदुला गर्ग ,सुधा अरोड़ा रोहिणी अग्रवाल सुधा सिंह हमारे साथ हैं और संपादन में वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह सहयोग कर रही हैं ।हमने यह पत्रिका बहुत कम समय में निकाली है। 26 मई को गीतांजलि श्री को अंतरराष्ट्रीयबूकर अवार्ड मिलने की घोषणा हुई और इससे एक माह के भीतर ही हमें इस पत्रिका का पहला अंक आपके सामने पेश कर दिया है।
इस अंक में बुकर अवार्ड पर हमारे समय के महत्वपूर्ण संस्कृति कर्मी कवि एवं लेखक अशोक बाजपेयी का एक संक्षिप्त साक्षात्कार , हर्ष बाला शर्मा सपना सिंह विपिन चौधरी आदि के लेखऔर फेसबुक पर ऑर्गेज़्म पर हुई गरमा गरम बहस को ध्यान में रखते हुए इस समस्या पर तीन लेख भी हम दे रहे हैं जिसमें वरिष्ठ कवयित्री अनुवादक पत्रकार प्रगति सक्सेना का एक महत्वपूर्ण लेख और प्रसिद्ध कला समीक्षक पत्रकार विनोद भारद्वाज की भी एक टिप्पणी हम दे रहे हैं।
इसमें लेखकों की पत्नियाँ सिरीज़ में आचार्य शिवपूजन सहाय कीपत्नी बच्चन सिंह पर एक लेख भी है।इसके साथ ही सत्यजीत रे की जन्मशती पर सुप्रसिद्ध फ़िल्म अध्येयता जबरीमल पारख का लेख और विद्या निधि छाबड़ा का एक बहुत ही गंभीर लेख गोर्की पर दे रहे हैं।चर्चित नाटक कार राजेश कुमारका रंगमंच और स्त्री पर लेख आप पढ़ेंगे।तेजी ग्रोवर की कविता और साथ में कई स्तम्भ भी आप देखेंगे।
आप चाहें तो पत्रिका का पीडीएफ अंक और हार्ड कॉपी भी खरीद सकते हैं।इसकी सूचना हम वेबसाइट पर तथा स्त्री दर्पण पर देंगे।
टीम के सदस्यों के नाम इस प्रकार हैं।
रीता दासराम अलका तिवारी पारुल बंसल अलका प्रकाश अनुराधा ओस सुधा तिवारी और सोमा बनर्जी।।उनकोबहुत बहुत धन्यवाद जिनकी मेहनत रंग लाई है।
नोट : पत्रिका की कीमत 70 रुपये होगी।डाक खर्च अलग।
कृपया 9968400416 पर paytm करें
और स्क्रीन शॉट तथा पता इस नंबर पर whatsaap करें।
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