asd
Tuesday, July 23, 2024
Homeगतिविधियाँसाहित्य अकादेमी का कथासंधि कार्यक्रम संपन्न उषा किरण खान ने प्रस्तुत की...

साहित्य अकादेमी का कथासंधि कार्यक्रम संपन्न उषा किरण खान ने प्रस्तुत की कहानी और साझा किए अपने रचनात्मक अनुभव

नई दिल्ली। 8 अगस्त 2022; साहित्य अकादेमी ने आज अपने प्रतिष्ठित कार्यक्रम कथासंधि के अंतर्गत प्रख्यात हिंदी कथाकार उषा किरण खान को आमंत्रित किया। उषा किरण खान ने सर्वप्रथम अपनी नवीनतम् कहानी ‘ग्रांड रिहर्सल’ का पाठ किया जो बिहार के एक छोटे कस्बे की लड़की निभा दास के संघर्ष पर आधारित थी। नाटक में रुचि रखने वाली निभा दास से नाटक रिहर्सल के दौरान ही मनोज नाम के युवक से निकटता होने पर शादी करती है। लेकिन वह नौकरी लगने के बाद घर ले जाऊंगा के आश्वासन के बाद फिर कभी लौटकर नहीं आता। वह संघर्ष करते हुए एक अस्पताल में काम करने लगती है, जहाँ उसे मनोज की मृत्यु का समाचार मिलता है। तब उसे अपना जीवन कहीं न कहीं एक ‘ग्रांड रिहर्सल’ के समान ही प्रतीत होता है।
आगे उन्होंने अपनी रचनात्मक प्रक्रिया साझा करते हुए उन्होंने कहा कि 80 वर्ष की उम्र में अब मैं कह सकती हूँ कि लेखक बनना शायद मेरी नियति थी। मेरी पढ़ाई का विषय न हिंदी था न मैथिली। मैंने तो आर्कियोलॉजी की पढ़ाई की और नौकरी भी उसी विभाग में की। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि मेरे सभी उपन्यास गाँव के अनुभवों पर और वह भी वहाँ के सबसे गरीब तबके से जुड़े हुए हैं। आज भी मेरे गाँव में बैलगाड़ी और नाव के द्वारा जाना पड़ता है। इसलिए वहाँ की संस्कृति और वहाँ के सुख-दुख बिलकुल अलग हैं। पाठकों द्वारा उनके स्त्री पात्रों की उदारता पर प्रश्नचिन्ह् खड़े करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि आज भी वहाँ के समाज में ऐसी औरतें हैं। उन्होंने उस इलाके के लोगों की जीवंतता के बारे में बोलते हुए कहा कि वे हर दो-तीन साल बाद बाढ़ में नष्ट होते हैं और पुनः अपना जीवन नए सिरे से हंसते-हंसते बसा लेते हैं। उन्होंने अपने सभी उपन्यासों की पृष्ठभूमि और उनके लिखे जाने के कारणों पर भी विस्तार से जानकारी दी। कवि विद्यापति के जीवन पर आधारित उपन्यास ‘सिरजनहार’ के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि ये कालखंड इतिहास में अंधकार युग के रूप में दर्ज है, लेकिन इस दौरान भी समाज के कई ऐसे उजले पक्ष थे, जिनकी चर्चा इस उपन्यास में है। ‘पानी पर लकीर’ की चर्चा करते हुए कहा कि यह उपन्यास पंचायती राज के दौरान महिलाओं के मिले सीमित अधिकारों पर है। उन्होंने अपने नाटकों की चर्चा भी की।
कार्यक्रम में कई प्रख्यात लेखक एवं पत्रकार – ममता कालिया, अनामिका, शिवमूर्ति, बलराम, ज्योतिष जोशी ,अल्पना मिश्र, श्रीभगवान सिंह, संतोष भारतीय, विवेक मिश्र, प्रभात कुमार, प्रेम जनमेजय, मदन कश्यप, रश्मि भारद्वाज, हरसुमन बिष्ट, संजीव सिन्हा, राजकमल आदि उपस्थित थे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

error: Content is protected !!